2 सितंबर 2009

उम्मीद

कल मिलने की उम्मीदमें एक शाम ढल जाती है ,

आज तो कुछ कर नहीं पाये तो बात कल पर चली जाती है ,

अगले पल की जिंदगी कोई भरोसा नहीं होता ,

पर ख्वाहिशों के पड़ाव के मकाम पाने की उम्मीद उम्रसे भी लम्बी हो जाती है ....

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