अय दोस्त जा रहे हो ???
हमें अकेला छोड़कर ??? अपनी यादों के हसीं पलों के साथ बंधकर .....
देखो इस घरका हर कोना घूम फ़िर ध्यानसे देख लेना ...
कहीं कुछ छुट नहीं गया है ना ???
अपनी हर चीज़ संभालकर करीनेसे रख देना
कहीं रस्तेमें ,टूट ना जाए ,गूम न जाए .....
इस घर के खिड़की दरवाजे ठीक से बंद कर दो ,
अब कोई और इसमें रहने आ जाएगा .....
खाली घर की कैमरे से तस्वीर उतार लो ,
ये वह पहली पायदान है जहाँ से तुमने ऊपर जाना शुरू किया है ....
ताला ठीक से लगाना ,चाबी दे देना मालिक को ,
और ये पलक पर आंसू जो आ गया है उसे ताले के छेद में पिरोना ...
कल आकर मैं इस बंद दरवाजे को देखूंगा और ताले को चूम लूँगा .....
देखो तुम्हारे बटुवे में एक खाली कोना है न ???
मैं उसमे याद बनकर बैठा हूँ ...
ये अब तुम पर निर्भर है की जब बटुवा नया लोगे
तब मुझे अब पुराने बटुवे के साथ फेंक दोगे ?
या फ़िर नए बटुवे में भी कैद रखोगे ????
यादों को इस तरह घर और बटुये में अभिव्यक्त करने का अंदाज अच्छा लगा. आभार.
जवाब देंहटाएं