बारिश की बुँदे नजाकतसे फिसल रही थी चेहरेसे
रूमानी खयाल भी अपने शबाब पर थे मुंदी हुई पलकोंमें
जब आँखें खुली तो राज़ खुला और माज़रा आया समजमें
मुशायरेमें ये हम पर अंडे और टमाटर थे फेंके गए ........
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मुझे यूँ लगा मुझे मिलने वो बेताबीसे नंगे पाँव दौड़कर आई है ,
पास आकर बोली जाकर सिलवा दो मेरी सेंडल जो अभी टूट गई है ......
मुझे यूँ लगा मुझे मिलने वो बेताबीसे नंगे पाँव दौड़कर आई है ,
जवाब देंहटाएंपास आकर बोली जाकर सिलवा दो मेरी सेंडल जो अभी टूट गई है ......
ha ha maza aa gaya.