26 जून 2009

एक दरख्त का दर्द बांटे ....

हाथमें आज मेरे एक सितारा आ गया ,

चाँद हथेली में होने का अहेसास आ गया ,

कभी न हो ऐसा खुशीका काफिला आया ,

कुछ पलके लिए जिंदगी जीने का मज़ा आया .........

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कभी पूछ कर देखो वो घने दरख्त को भी ,

कितने सालों से यूँ ही खड़े हो ?

क्या तुम्हारे पैर नहीं दुखे कभी ?

क्या तुम्हे धुप, ठण्ड ,बारिश का अहेसास नहीं ?

तुम पर बैठकर कितने ही परिंदे खुशियों के गीत गाते होंगे ?

कितने पंछी तुम्हारी डाली पर घोंसले बनाते होगे ?

कितने फूलोंकी खुशबुएँ तुम्हे महकाती होगी ?

कितने फलोंसे हुई जुदाई कभी तुम्हे याद आती होगी ?

कितने सूखे पत्ते जुदा होकर तुमसे रोये होंगे ?

कितने नई कोपल के फूटने के दर्द तुमने सहे होगे ?

कितनी हरी डालियाँ ?कितने सुने घरौंदे तुम्हारे साथी बने होगे ?

कितनी बार ये याद करते हुए तुम जड़ों से लिपट कर रोये होंगे ?

चलो आज तुमसे बात करके तुम्हारी तन्हाई को बांटती हूँ ....

तुम्हारे तने को एक बार प्यारसे सहलाती हूँ .....

2 टिप्‍पणियां:

  1. कितनी हरी डालियाँ ?कितने सुने घरौंदे तुम्हारे साथी बने होगे ?

    कितनी बार ये याद करते हुए तुम जड़ों से लिपट कर रोये होंगे ?

    चलो आज तुमसे बात करके तुम्हारी तन्हाई को बांटती हूँ ....

    तुम्हारे तने को एक बार प्यारसे सहलाती हूँ ।

    बहुत ही गहरे भावों के साथ सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति, बधाई

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