हाथमें आज मेरे एक सितारा आ गया ,
चाँद हथेली में होने का अहेसास आ गया ,
कभी न हो ऐसा खुशीका काफिला आया ,
कुछ पलके लिए जिंदगी जीने का मज़ा आया .........
=================================
कभी पूछ कर देखो वो घने दरख्त को भी ,
कितने सालों से यूँ ही खड़े हो ?
क्या तुम्हारे पैर नहीं दुखे कभी ?
क्या तुम्हे धुप, ठण्ड ,बारिश का अहेसास नहीं ?
तुम पर बैठकर कितने ही परिंदे खुशियों के गीत गाते होंगे ?
कितने पंछी तुम्हारी डाली पर घोंसले बनाते होगे ?
कितने फूलोंकी खुशबुएँ तुम्हे महकाती होगी ?
कितने फलोंसे हुई जुदाई कभी तुम्हे याद आती होगी ?
कितने सूखे पत्ते जुदा होकर तुमसे रोये होंगे ?
कितने नई कोपल के फूटने के दर्द तुमने सहे होगे ?
कितनी हरी डालियाँ ?कितने सुने घरौंदे तुम्हारे साथी बने होगे ?
कितनी बार ये याद करते हुए तुम जड़ों से लिपट कर रोये होंगे ?
चलो आज तुमसे बात करके तुम्हारी तन्हाई को बांटती हूँ ....
तुम्हारे तने को एक बार प्यारसे सहलाती हूँ .....
कितनी हरी डालियाँ ?कितने सुने घरौंदे तुम्हारे साथी बने होगे ?
जवाब देंहटाएंकितनी बार ये याद करते हुए तुम जड़ों से लिपट कर रोये होंगे ?
चलो आज तुमसे बात करके तुम्हारी तन्हाई को बांटती हूँ ....
तुम्हारे तने को एक बार प्यारसे सहलाती हूँ ।
बहुत ही गहरे भावों के साथ सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई
सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएं---
डायनासोर भी तोते की जैसे अखरोट खाते थे