जहाँ ये सारा फलक है मेरा ,
तुम्हे सजा दूँ ,संवारू एक गीत बनाकर ....
सूर बनेंगे तेरे पायल की झंकार
धून बजायेंगे तेरे कंगन खनककर
मुस्कराहट तेरी एक गीत बनकर आएगी
बरसेगा जब सावन अबके फिजा टिप टिप आवाजमें गुनगुनायेगी .....
ये सुनकर झुमका डोला और बोला जैसे बांसुरी
तुम्हारे नयन पलकों से झाँख रहे एक नए तराने से
धानी चुनर को भी सुरों की बारिशमें नहाना है ......
तुम्हारी बिंदिया को भी नया गीत गाना है ....
देखो गरजत बरसत कारे घन नीले आसमांको सजायो है ,
कड़कती बिजलीसे चमकते हुए राग मल्हार रिझायो है ,
धरतीकी तपिश के शोलों को अब थोडी भीगी हवाएं देते जाओ ,
डौल रही धरती है कहते हुए मौसमको भी सुनते जाओ .....
bahot khubsurati se kahi hai aapne apni baat ko... bahot bahot badhaayee...
जवाब देंहटाएंarsh
bhut hi sur may geet
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है
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प्रीति जी मेरे नये प्रयास चर्चा । Discuss INDIA पर आपकी एक नज़र की चाह है