मेरे वजूदसे बड़ी एक दुनिया मुझमे समायी है ,
जो मेरे मनके नगरमें याद के नामसे जानी जाती है .....
यहाँ यादों के देश में कोई सरहद नहीं ,कोई मौसम नहीं ,
कोई भीड़ भी नहीं ,या कोई तन्हाई भी नहीं .....
यादोंके सफ़रके रास्ते इस जिंदगीसे भी लम्बे होते है ,
यहाँ पर कहीं घने दरख्त ,फुल पौधे ,हंसी मंज़र भी सजे है ......
यादोंके मुलायम फूल भी कभी नश्तर बनकर चुभ जाते है ,
कभी इसकी तीखी चुभन भी मरहम बनकर आती है ........
वो याद बचपनकी एक गुडिया है या पहले प्यार की निशानी ,
आज बालोंकी सफेदीमें सजी ये यादों के बिन ये उम्र भी अधूरी है ....
पता नहीं किसीके यादोंमें मेरा नाम भी लिखा होगा या नहीं ?
कभी ये सोचते हुए कोई जहनमें सिर्फ याद बनकर ठहर जाता है ..........
ek achchhi rachana
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
जवाब देंहटाएंसच में ये यादें ऐसी ही होती है जो रह रह कर पुराने दिन याद दिलाती है और अजीब सा सुकून भी देती है...
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