आज अकेले थे ,तनहा भी थे ,कुछ गुमसुम, कुछ मायूससे ,
चलो इस मर्ज़ की दवा को आज खोज लिया जाए ,
गम भुलाकर अपने सभी
किसीकी खुशियों में तहे दिल से शामिल हो लिया जाए ...........
बस फिर क्या था किसीकी खुशियोंको देखा तो
हमारा दिल भी एक ताज़ी कलीकी तरह खिल गया ,
और क्या कहें हमें भी सच्ची ख़ुशी का पता ठिकाना मिल गया .....
किसीके दर्द बाँटने या किसीकी ख़ुशी में हम भी शामिल होने चल दिए ...
दुरी के कोई गम न रहा और उसकी नजरसे हमने भी देखा ,
चाहे हम नहीं हो कहीं उनकी दुनियामें कहीं उस वक्त ,
पर उनकी नजरसे हमने भी आज ख़ुशी के जाम पी लिए ,
भरी हुई आंखोसे देखकर उन्हें उनकी दास्ताँमें खुद को भी जी लिए ........
हाँ सच कहा आपने प्रीटी जी कभी कभी दूसरों की खुशी अपना गम भुला देती है...रचना अच्छी लगी...शब्दों के chayan और vistaar karein....
जवाब देंहटाएंआजकल यही हो रहा है..गम ज्यादा खुशिया थोडी है,फिर खुशियाँ कोई बाज़ार में नहीं मिलती!हम चाहे तो जीवन के छोटे छोटे लम्हों में ख़ुशी जी सकते है...बस जरुरत है किसी की खुशियों में शामिल होने की...
जवाब देंहटाएंगम भुलाकर अपने सभी
जवाब देंहटाएंकिसीकी खुशियों में तहे दिल से शामिल हो लिया जाए ...........
बहुत बढ़िया, मन से लिखी गयी रचना .
सुन्दर काव्य प्रकटन
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