ये यादों का शहर है ,
यहाँ यादोंके फूल खिलते है ,
यहाँ यादोंकी खुशबु लहलहाती है ,
यहाँ यादोंकी महफ़िल कहकहाती है ,
यहाँ याद सिसकियाँ भरती है ,
तन्हाईयाँ बिखेरती हुई वो अँधेरी गलीमें ,
यहीं यादें बैठकर सपनोंके महल बनाते थे ,
वहां पर ही खण्डहरकी दीवारों पर ,
खुदका तराशा नाम ढूंढते है ,
यादोंकी बारिशें भिगाती रही हरदम कभी ,
अब झुलसाती है वो रेगिस्तानकी धुप बनी .
यहाँ के फूल भी नश्तर चुभाते है ,
यहाँ के खंजर के मंजर भी फूल से लगते है कभी …
यादोंके शहरमे कितनी भीड़ लगी रहती है ,
कौन कहता है की दिलकी जगह छोटी है ,
शहर बसाकर यादोंका,
हर मौसम बिखराता है ,
सावनमे वो बिरहा को भड़काता है ,
तो फिर कभी सर्दीमे सुलगाता है ,
एक खिलखिलाता शहर है ये ,
बस मन के मौसम के आयने सा ,
तुम्हारे दिल का अक्स
इस शहरके हर नुक्कड़ पर उभर कर आता है …
ये यादों का शहर है …
यहाँ यादोंके फूल खिलते है ,
यहाँ यादोंकी खुशबु लहलहाती है ,
यहाँ यादोंकी महफ़िल कहकहाती है ,
यहाँ याद सिसकियाँ भरती है ,
तन्हाईयाँ बिखेरती हुई वो अँधेरी गलीमें ,
यहीं यादें बैठकर सपनोंके महल बनाते थे ,
वहां पर ही खण्डहरकी दीवारों पर ,
खुदका तराशा नाम ढूंढते है ,
यादोंकी बारिशें भिगाती रही हरदम कभी ,
अब झुलसाती है वो रेगिस्तानकी धुप बनी .
यहाँ के फूल भी नश्तर चुभाते है ,
यहाँ के खंजर के मंजर भी फूल से लगते है कभी …
यादोंके शहरमे कितनी भीड़ लगी रहती है ,
कौन कहता है की दिलकी जगह छोटी है ,
शहर बसाकर यादोंका,
हर मौसम बिखराता है ,
सावनमे वो बिरहा को भड़काता है ,
तो फिर कभी सर्दीमे सुलगाता है ,
एक खिलखिलाता शहर है ये ,
बस मन के मौसम के आयने सा ,
तुम्हारे दिल का अक्स
इस शहरके हर नुक्कड़ पर उभर कर आता है …
ये यादों का शहर है …
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सीट ब्लेट पहनो और दुआ ले लो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंIts a beautiful poem.Loved reading and feeling it :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .....
जवाब देंहटाएंयादों के इस शहर से बाहर आना मुश्किल होता है ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत यादें ........... सुंदर !!
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