उड़ने को बेक़रार है
अपनी परवाजों पर लिखके अनगिनत अल्फाज़ ...
उसके ख्वाबोंका काजल उसकी आँखोंमें तैरता है
उसकी कथ्थई आँखें बिजुरी को समाकर मूंद लेती है
कांचसी पलकें
जिसमेंसे छन छन कर वो चमक कौंध जाती है
एक आगकी चिनगारीसी ...
उसमे वो इश्कको पानेकी तड़प नज़र आती है ....
बस वो है ...
वो एक है ...
कथ्थई आँखों वाली एक लड़की
जो झांकती है खिड़कीसे
अनकहे ख्वाबोंके अफसानोको
जो आज सड़कों पर टहलने के लिए निकले है शायद ...
बहुत ही खुबसूरत
जवाब देंहटाएंऔर कोमल भावो की अभिवयक्ति......