29 दिसंबर 2011

एक इल्तजा लिए....

मुझे ये नहीं पता
ये दुनिया की रिवायत क्या है ???
क्या है प्यार और नफरत क्या है ???
क्या है अश्क है और हंसी क्या है ????
क्या है जीत और हार क्या है ???
क्या है नजदीकियां और दूरियां क्या है ???
क्या है कारवां और तन्हाई क्या है ???
क्या होती है दुश्मनी और दोस्ती क्या है ???
क्या होता है अपनापन और गैर होना क्या है ????
क्या होता है इज़हार और बेरुखी क्या है ???
क्या तुम बिना जीना है और तुम्हारा साथ क्या है ????
फिर भी तुमने समजा दिया मुझे ...
और सिर्फ एक ही बात समजमें आ गयी है .
की मेरी दुनिया तुम्हीसे शुरू होती है
और तुम्ही पर ख़तम होती है ........
बस तुम्हारी चाहत तुमसे दूर जाकर समजमें आई ,
एक इल्तजा लिए ,
लौट आओ ..एक बार !!!!!

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