30 दिसंबर 2011

विश्वास है मेरे वहां लौटने का हरदम ......

ये जिंदगी वही है ,
चोला पुराना
फिर भी हर रोज नई की नई है ,
उसके हर दीवार ,हर कोने ,हर कमरे पर
मेरा नाम लिखा हुआ है ,
कुछ कहे कुछ अनकहे अफसाने लिखे हुए है ,
मेरी हंसीकी गूंज उसने कोनेमें सजाई है ,
मेरी अश्कोंकी बारिशको उसने तकियेमें छुपायी है ,
कमरेमें आज भी बहती हवाएं है ,पर मैं नहीं हूँ ,
कोनेमें मेरी तस्वीर लगी है बचपनकी ,पर मैं नहीं हूँ ,
दीवारोंमें मेरे हाथका वो स्पर्श आज भी ताज़ा है ,पर मैं नहीं हूँ ......
जिंदगीका ये मकान अब पुराना हो चूका है ,
पर महसूस करो तो ये आज भी यादोंसे जवाँ है .....
वहां हर दीवार पर हर कमरे में एक खिड़की है ,
जिसे में दोस्त कहती हूँ ,
वहांसे मैंने दुनियाका पहला तार्रुफ़ किया था ,
वही खिड़की जहाँसे मुझे दोस्तोंने हाथ हिलाया था ,
वो हर दोस्त जो खिड़कीसे होकर मेरे कमरेमें आते थे ,
मिलकर खूब धमालधूम मचाते थे ,
ये खिड़कियाँ मेरे वो दोस्त ही तो है
जो आज भी ताज़ी हवा और रौशनी बिखेर जाती है
तुम्हारी दोस्तीके हर पलको उजागर करती है ,
क्योंकि उन्हें विश्वास है मेरे वहां लौटने का हरदम ......

2 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति । शब्दों को दिल से निकाल कर जस का तस रख दे कोई तो यूं रख दे । बहुत बहुत शुभकामनाएं जिंदगी के इस फ़लसफ़े को समझने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  2. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.....

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...