5 दिसंबर 2011

मुक़र्रर करके आये थे...

जिस पल इस हंसी दुनियामें आँख खोली हमने 
उस पल मुक़र्रर करके आये थे तारीख अपने मौतकी ......
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जिंदगीको सालोंकी लम्बाईसे नापी नहीं कभी ,
बस उन हर लम्होंसे जिन्दा हूँ अभी भी 
जब किसीको मुस्कराहट दे चले हम .......
अपने मौतके बाद भी ......
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कहाँ कहाँसे गुजर गए थे तेरे इश्कमें 
कभी बहारकी बयारोंसे कभी खाक ए रेगिस्तानमें ....
जहाँ जहाँ कदमके निशान पड़े थे मेरे 
आज भी तुम्हारे मेरे इश्ककी दास्ताँ कायम है .....
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न उफ़ कहा ..न अश्क बहाया ....
तेरी कसम निभाने हमने हर ज़ख्मको सहलाया ....
बस ये ही प्यारकी रिवायत है की 
पाकर नहीं खोकर वो याद आता है हर लम्हे हर सांस पर .....

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