आज जाने हमने जाने क्या है जिंदगीके मायने ,
अजनबी लगते है अक्स खुदके है फिर भी अपने ही आयने ......
एक हलकीसी दरार बना देती है एक खाई ,
अपनी थी कल तक वो हर चीज़ हो चुकी पराई .......
वफ़ादारीकी हर रस्म निभाने की खाई थी जिसने कस्म,
आज वही भूलने लगे है वफ़ा की हर रस्म ......
न किया था दावा की जिंदगीभर का है हमारा साथ ,
फिर भी ये वादा करके थामा था हमारा हाथ ,
न बदले हम , न हमारी रस्म ,न टूटी कोई कस्म ,
फिर भी लग रहे है आज वादाखिलाफी के हम पर न जाने इलजाम ...
ये नया जमाना है ,इस दिखावे नए है रंग ढंग ,
यूज एंड थ्रो का जमाना है , चाहे चीजें हो या इंसान ....
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