4 मई 2011

आज फिर एक और जन्मदिन मेरा ...

आज फिर एक बार ....
ये सालने एक और करवट ली ,
कितनी सिलवटे पड़ी है समयकी चादर पर ,
गिनते गिनते उसे आँख की रौशनी थोड़ी धुंधली हो चुकी है ,
ऐनकसे देखने लगे है दुनियाको ,
ठहराव धर लिया है उम्रकी इस बहती नदीने
जो उछलती थी अठखेलियाँ लेती हुई .....
बस एक मक़ाम है ऐसा जहाँ ,
आस कुछ कम है ,संतुष्टि कुछ ज्यादा ,
कुछ खोया है उसका गम नहीं
कुछ पाया है उसकी पागलसी ख़ुशी नहीं ....
कुछ उम्मीदे जीने की वजह छोड़ जाती है ,
कुछ निराशा हमें और मजबूत बना जाती है ......
कई लोगोंसे नए रिश्ते बने ,
गिनकर देखे पुराने कितने रिश्ते मझधारमें बिछड़े ????
जिंदगी कोई आने जाने गम ख़ुशी का हिसाब तो नहीं ,
आँखोंसे ओज़ल कोई हो गर ,
पर दिलकी यादोंसे लापता तो नहीं .....
बस एक चैन एक सुकून लेने की चाह बदस्तूर है ,
एक अकेली राह पर चुपचाप ,
वक्त की बाहें थामकर चुपचाप चलती रहूँ ...चलती रहूँ .......

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (5-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  2. बस एक चैन एक सुकून लेने की चाह बदस्तूर है ,
    एक अकेली राह पर चुपचाप ,
    वक्त की बाहें थामकर चुपचाप चलती रहूँ ...चलती रहूँ ......
    .....yahi niyati hai... kabhi khushi kabhi kam... kayee modon par har insan apne aap ko akela paata hai...
    bahut haardik shubhkamnayen.

    जवाब देंहटाएं

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