5 मई 2011

नाम : निनाद ....

कभी कभी कुछ नाम ऐसे होते है की जो अचानकसे हमारे जहनमें गूंजने लगते है ...एक बहुत ही अलग एहसास जुडा हुआ होता है .....
एक ऐसा ही नाम है निनाद ....बहुत कम याद आता है ...पर जब भी याद आता है मेरी सोच उसके इर्दगिर्द ही घुमती है ...और ऐसे नामकी कोई भी व्यक्ति मेरे जीवनसे ना जुडी हुई है और नहीं आई है ...फिर भी मुझे ये नाम बेहद पसंद है ....निनादका मतलब ऊँचा पहाडी स्वर ...जो सम्पूर्ण लागु कर सकते है पहाडीसे बहते हुए झरनेके सूर पर ... एक एकताल पर बजता हुआ संगीत जो कभी एक सूर भी नहीं चुकता ....वो सारे नज़ारे मेरे जहन में उभरते है जो मैंने देवप्रयाग और कश्मीरके प्रवासमें देखे है ...पहलगामके बीचोबीच बहती लिद्दर नदी उसका उदाहरण है .....निनाद को कभी सुनकर देखो ...जब आधी रात को आप नींदसे जागते हो ...पूरा वातावरण मौनकी चादर लपेटे हुए होता है ...तब आँखे बंदकर खुद के अन्दर झांककर देखो ...अन्दर धीर गंभीर एक आवाज सुनाई देगी ...ॐ ..................
षड्ज ....सारेगामाके साथ सुर का पहेला सूर ..........सूरोंका सरताज है ये .... और निषादमें मुझे विषाद सुनाई देता है ...इस लिए वो नाम कुछ कम पसंद है पर षड्ज आज भी दिल के करीब .....
उतना ही पसंद है दो और नाम ...स्वर और स्वरा ........संगीत मेरे लिए हर मर्ज़ का इलाज है ...जब खूब दुखी हो जाती हूँ तो मेरे पसंदीदा गीत पुरे जोश से पुरे सुर के साथ गाना मुझे पसंद है ...गाने भी मूड से मेच होते है पर लगता है कोई मिल गया एक खुबसूरत साथी सा .......संगीत खनकता है उसमे .....जो लोग मुझे पसंद है उसे मन ही मन में कहती हूँ स्वर या स्वरा .....
प्रीति .......ये मेरा खुद का नाम है ....जिसका अर्थ है प्यार ...दुनिया को आज उसकी जरूरत है ...जिसे देने में ज्यादा मज़ा आता है ...लेकिन सबको ख्वाहिश होती है की वो सबसे मिले और वो भी किसीको दिए बिना .....लेकिन प्रीति ...प्रेम का एहसास है जो हरदम मेरे वजूद के साथ है ......और कहता है मुझे
हर पल यहाँ जी भर जियो जो है समां कल हो ना हो ......

हाँ एक और नाम पसंद है मौन .........
ख़ामोशी ....जहाँ कोई आवाज नहीं होती ..होती है एहसासकी गूंज ...उस गूंज को सुनकर देखो कभी ...उसमे बांसुरी से लेकर वायोलिनके जलवे होते है ....और शोर में कभी खुद में खो जाओ तो आपको जरूर सुनाई देगी ये ख़ामोशी की सदा .....मौन नितांत मौन ......

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