एक सर्द हवा का झोंका था ,
ठिठुरता हुआ आता था मेरी खिड़की पर
दस्तक देकर मांगता था थोड़ीसी अंगीठीकी आंच ,
मैं उसे गर्म कम्बलमें लपेट कर
मा की लोरी के कुछ लब्ज़ याद कर सुलाता था ...
कमबख्त वो सोता ना था कभी ,
शायद इश्क के बुखार का मारा होगा वो भी ,
रात को रतजगेकी बीमारी होगी ,
उसकी सांस बर्फसी जम जाती होगी ....
नब्ज़ देखी जब उसकी साँसे ठंडी होने लगी ,
मेरी गर्म हथेलीको उसके हाथोमें थमा दिया ...
सुबह जब जगा दुसरे पहर तो मेरी जलती दिए की लौने
उसको जिन्दा कर दिया था .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
सर्द हवा के झोंके की गर्मी अच्छी लगी।
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