ये क्यों सोचे कि इतने सालोंसे मिले ?
हर सुबह बस यूं ही सोचे ,
हम तो पहली बार मिले ...
कभी गुस्ताखी ,कभी रूठना ,कभी मानना ,कभी मनवाना ,
कभी प्यार ,कभी इन्तेजार ,
बस वक्त भरे हममें यूं ही रंग हजार ...
कभी डोर बन जाए ,कभी पतंग ,
हवाओंसे बातें करते हुए भी जमीं से हर बार मिले .....
मिलनेका मजा हर वक्त यूं पहली बार सा लगा ,
जब बिरह के बाद हम हर बार मिले .....
माननीय प्रीति जी
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन
ब्लोग पर आपकी रचनाएं पढ़ी मुझे आपका लेखन पसंद आया। क्यों न आप रचनाओं को प्रकाशिन के लिए भेंजे। यदि पते चाहती हों तो मेरे ब्लोग पर पधारें आपकों अनेक पत्रिका की समीक्षा के साथ उनके पते भी मिल जाएंगें
सरिता जी मैं भी मध्यप्रदेश का रहने वाला हूं।
अखिलेश शुक्ल
संपदक कथा चक्र
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मनमोहक कविता के लिए बधाई
जवाब देंहटाएं---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
मिलनेका मजा हर वक्त यूं पहली बार सा लगा ,जब बिरह के बाद हम हर बार मिले .....
जवाब देंहटाएंbahut pyaari rachana..