25 जनवरी 2009

वो अनजान चेहरा ......



कभी कभी ये अश्क खामोशीकी जुबां बनते है ,
आंखोसे बहते है मगर हाल दिलका बयां करते है ....

देखो बाहर खुले आसमांमें चमकता सूरज है ,
पर कभी सुरमई बने ऐसे पल आंखोंसे अचानक बरसते है .....

आज पूछो एक सवाल अपने दिलसे भी क्या मिलनेसे ही रिश्ते बनते है ???
कभी कभी न मिलनेवाले अनदेखे चेहरे भी तुम्हारे दिलको पढ़ लेते है ....!!

पूरा दिल का ये मकान एक जो रिश्तोंसे भरा हुआ होता है ,
तभी एक चेहरा रेतमें पानीकी तरह जगह बना लेता है ......

कभी तनहा हो ,कभी खामोश हो ,कभी उदास हो ,
तब वो चेहरा दिलसे बाहर आकर तुम्हारे अश्क पोंछ देता है ...........

5 टिप्‍पणियां:

  1. कभी कभी ये अश्क खामोशीकी जुबां बनते है ,
    आंखोसे बहते है मगर हाल दिलका बयां करते है ....


    -बिल्कुल सही!!

    जवाब देंहटाएं
  2. आप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...

    जय हिंद जय भारत

    जवाब देंहटाएं
  3. कभी तनहा हो ,कभी खामोश हो ,कभी उदास हो ....

    बहुत खूब ...


    अनिल कान्त
    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रस्तुति के लिए आभार

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित

    सादर

    द्विजेन्द्र द्विज
    http:/www.dwijendradwij.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं

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