28 जनवरी 2009

वक्त न रुकेगा कभी




कत्ल करते हो और कहते हो मुज़रिम नहीं ?

एक अदा होश उड़ने के लिए काफ़ी है और कहते हो ये साजिश नहीं..............

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वक्त नहीं रुका है कभी ,

ना कभी रुकेगा किसीके लिए ..

दिल रह गया था उस मोड़ पर ,

जहाँ कभी आप छोड़ गए थे ....

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सुना था हमने बहते वक्त के साथ रिश्ते पकते है ,

लेकिन हमने महसूस किया वक्त के साथ रिश्ते थकते है ,

जब एक खुबसूरत मोड़ पर जाकर ये रिश्ते रुकते है ,

बिना कुछ बोले रुकते ये रिश्ते कभी कभी जचते है ....

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