9 दिसंबर 2008

अब नए सफर पर हम चल दिए .....

जज्बात हमारे जिंदगी के सफों पर लिख कर हम लाये थे ,
पर उस पर कहीं पर नाम नहीं लिखा तुम्हारा डर से रुसवाई की ,
दिलमें लिए मोहब्बत तुम्हारी ,रोशन होते रहे हमारी मोहब्बत के चिराग ,
खुशकिस्मती हमारी यह रही ,तुम भी हमारी नजरों को पढ़ पाये थे ,
तब ही तो तुम्हारे अब्बुजान कल यहाँ तुम्हारे रिश्ते का पयगाम लेकर आए थे ।
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आजका एक सुनहरा पृष्ठ , इतिहास से है जुड़ गया ,
जिन्हें जी लिए हम लम्हा लम्हा करके ,
वो एक युग का रूप है धर गया ।
जो दिन हमें लगे थे अश्कोंसे उभरते हुए ,
किनारे पर आकर मोतीसे लगने लगे ,
नई उम्मिदोंके साथ कदम बढाकर ,
अब नए सफर पर हम चल दिए .....

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