6 दिसंबर 2008

आगे सारी कायनात ही हमारी है ....!!!!

ख्वाबोंकी तो तासीर होती ही है टूट जाने की ,

तो टूटने के डर से क्या ख्वाब देखना ही छोड़ देंगे हम ?

मोहब्बत में दिल टूट भी जाते है कभी ,

तो दिल टूटनेके डर से मोहब्बत करना ही छोड़ देंगे हम ?

ख्वाब भले ही टूट जाए हम तो ख्वाब देखते ही जायेंगे ....

हमारा वजूद ,हमारी उम्मीदें जहाँ है जुड़ी ,

हमतो दिल में उन्हें बसाए ही जायेंगे ....

आँधियोंमें उम्मीदों के दिए पर धरकर अपनी हथेलियाँ ,

बुझने नहीं देंगे कभी उनको हम ....

हम जब ख़ुद ही एक ख्वाब जो है तो ,

ख्वाबमें ही जिए चले जायेंगे ......

देखो डूबती हुई रात के एक सितारे की उंगली थाम ......

हम सुबह की दहलीज पर आकर है खड़े ,

पहेली किरण सूरजकी अपनी आँखों से जहन में उतारी है ,

मुड़कर नहीं देखते कभी पीछे क्योंकि...

आगे सारी कायनात ही हमारी है ....!!!!

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