ढूंढते रहते हो आप गली गली-शहर शहर लेकर पता हाथमें ,
बेसब्रीकी ये इन्तेहां थी की सामने ही मेरा घर था,
मुझे ही आप पता पूछ रहे थे मेरे घरका क्योंकि,
आपने मुझे कभी देखा न था, और प्यार जहनमें उभरी एक तस्वीरसे किया था......
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दर्द उभरता है जब आंसु बनकर, ये स्याही बन जाते हैं...
अंगुली पोंछ लेती है गालोंसे उसको तब ये कलम बन जाती है....
हाथोंका रुमाल भीग जाते हैं उससे ये कागज बन जाते हैं,
दुनिया जब पढती हैं इन अफसानोंको तो ये गजल कहलाते हैं......
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जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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