कहीं धुंधली सी लकीरें सुनहरी
प्रकाश की आशाएं बिखेरती है ,
नन्हे बच्चे की मासूम मुस्कान
खुशी की लहर बिखेरती है ,
प्रकृति का रूप बदलता
अचंभित कर आश्चर्य की सीमाएं बिखेरती है.
कड़कती बिजली का बेखौफ नर्तन
भय का आवर्तन का सृजन कर
कपकपी फैलाती है .…
चाँद की चाँदनी में तकना आकाश को
मन मे सुकूनभरी स्निग्धताका लेपन करती है ....
पर कहाँ देख पाते है इसे हम वक्त के मारे
घंटो तक आभासी रिश्तों में व्यस्त एक डिबिया में भरे ,
ढूंढते रहते है सुकून का एहसास
जलजीवन से भरी गगरिया में भी हमें
कसकती प्यास ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
2 मई 2018
आशाएं
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
-
बंदिशें बनती है धूपमे भी कभी , सरगम बनकर बिछ जाता है धूप का हर टुकड़ा , उसके सूरसे नर्तन करते हुए किरणों के बाण आग चुभाते है नश्तरों के ...
-
एहसान या क़र्ज़ कहाँ होता है इस दुनिया में ??? ये तो रिश्तोंको जोड़े रखने का बहानाभर होता है .... बस मिट्टी के टीले पर बैठे हुए नापते है ...
सब कुछ होने के बाद भी कुछ खालीपन सा हमेशा रहता है मन में...
जवाब देंहटाएंइसी को सुंदर शब्दों में पिरोया है आपने.
स्वागत हैं आपका खैर