4 जून 2016

मौसम

तन्हाई के जंगलों मे यादों के दरख्त पनपते है.
यहाँ पर भी मौसम होती है
औऱ मौसम के मिजाज भी बदलते हुए.
यहाँ भी पतझड और बहारो के काफिले,
यहाँ भी खुद से बिछडे औऱ खुद से जुड़े......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...