6 मार्च 2013

दस्तक ....

कल कोई दस्तक देकर गया ,
मैंने झाँका दरारसे तो
वो एक ख्वाब था ,
काले कम्बलमें लिपटा हुआ .....
चुपचाप वो लौट गया
मैं किवाड़ खोल ही नहीं पाई ,
आने में उसने देर कर दी थी ...
क्या बताऊ उसे मैं  ???
मेरे पांव तो अब हकीकतकी
बेड़ियों में झकड़े हुए है ......

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