31 अक्तूबर 2012

कुसूर तो...

कुसूर तो उन फूलोंका होगा ,
जिसकी खुशबुसे खिंची फिजा भी खिंची चली आई है ,
कभी शिकायत होगी चांदको भी चांदनीसे
जो उसके दामनको छू जहाँमें बिखरी जाती है ......
कहीं कोई शिकायत सुने तो अनसुना कैसे करे ,
उन शिकायतोंमें भी हमें आपकी ही याद आती है ........
इस दुनियामें कुछ तो ऐसा होगा
जो तुम्हे हर चीज़से दरकनार करता है ,
वो शायद रूह की पाकीज़गी है ,
जो जिसमके आर पार एक तेज वलयसी रुकी है .....

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