8 सितंबर 2012

अपना अक्स .....!!

एक दिन चाहतने इश्कके मायने पूछे हमसे ,
उसने हमारी आँखोंमें देख लिया  अपना अक्स .....!!
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कभी तन्हाईसे पूछा करो की बिना कोई साथी ,
कैसे कट रही है उम्र उसकी परछाईके साथ ???
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हाथ जब तक होता है किसीका अपने हाथोंमें ,
महफूज़ हो जाते है तपते रेगिस्तानोंमें ....
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काँटोंकी चुभन दरार बना देती है अश्कोंमें भी ,
लेकिन उससे भी इश्क ही जवां  होता रहा है ....
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तारीफ़से तार्रुफ़ हुआ था हमारा तुमसे मिलकर ,
अब इस आदतसे निजाद पानेके लिए तुमने कनारा कर लिया ????

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