आज फिर मौसम आशिकाना है ,
आज सूरज भी भीगा भीगा है ,
हर पल आसमान सूनेपनसे झुझता था अब तक ,
अब बादलोंके झुरमुटसे घिरा घिरा सा है ,
आज उन्हें समाधी लग गयी है शायद ,
उसके कमंडलसे टिप टिप करके टपकती है एक एक बूंद ,
मुझे कोरा कोरा रखती है ,
मुझे बूंद बूंद भीगा देती है ,
नमीं बनकर झलकती है मेरे चेहरे पर ,
जैसे नर्म नर्म आहटोंमें भीगती है खुद शबनम !!!!!
मैं कोरी कोरी फिर भी सराबोर मन
वो एक एक बूंदसे भरा है मौसमने फिर नशे का जाम !!!!!!
आज सूरज भी भीगा भीगा है ,
हर पल आसमान सूनेपनसे झुझता था अब तक ,
अब बादलोंके झुरमुटसे घिरा घिरा सा है ,
आज उन्हें समाधी लग गयी है शायद ,
उसके कमंडलसे टिप टिप करके टपकती है एक एक बूंद ,
मुझे कोरा कोरा रखती है ,
मुझे बूंद बूंद भीगा देती है ,
नमीं बनकर झलकती है मेरे चेहरे पर ,
जैसे नर्म नर्म आहटोंमें भीगती है खुद शबनम !!!!!
मैं कोरी कोरी फिर भी सराबोर मन
वो एक एक बूंदसे भरा है मौसमने फिर नशे का जाम !!!!!!
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