4 जुलाई 2012

आ गयी मौसम भीगनेकी ......

आज सुबहमें कोयलकी छींके सुनी तो जाना
कल रात को जमकर बारिश हुई होगी
और पेड़ पर सोयी कोयलको जुकाम  हो गया .....
उसकी नाकसे भी पानी बहा होगा ....
कौवेकी सदामें पाई गयी गलेकी खराश ,
और वो बुलबुलके पंखके बाल खड़े थे ,
शायद उसे भी मलेरिया था ....
बस एक गधेकी भूँकनेमें ख़ुशीकी सदायें थी ,
और मेडक भी अपनी गिटारके तार तंग करने में लगे थे ....
कुत्ते भी दुम दबाकर पिछली टांगोके बीच ,
समज नहीं पा रहे थे ये किस फ्लेटकी ओवर हेड  टंकी
ओवर फ्लो हो रही थी ......
नदियाँ छोटा बोनसाई रूप लेकर सड़क पर घुमने निकली थी ....
बस छोटा राजू अफ़सोस कर रहा था ,
ये बारिश रातमे क्यों हुई ,
उसकी वो कागज़ की कश्ती स्कुलके बस्तेमें
धरी की धरी रह गयी .......
छाते भी धुल झटककर अलमारीसे निकलने बेताब थे ,
रेनकोटको भी बरखामें भीगने के अरमान थे ...
सडकके किनारेसे आ रही थी भीनी भीनी खुशबू
मकईके सिकने की ....
चलो चलो जश्न मनाओ आ गयी मौसम भीगनेकी ......

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