22 जून 2012

तुम तो एक हकीकत हो ...

एक नश्तर चुभोकर चली गयी रात सीनेमें ,
एक टीसकी गूंज भी उठी पर लहू न निकला .....
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कोई कहींसे पुकारकर छुप जाता है मेरा नाम लेकर ,
और वो आवाज हवामें एक तस्वीर छोड़ जाती है ,
वो चेहरा न देखा कभी ख्वाबोमें भी
पर उनसे नाता है जन्मोजन्मका ये गवाही देकर जाती है ...
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मेरी वफ़ाका सबब कैसे दे दे इस दुनिया को ,
मुझे मेरी वफाके ऐलानसे ज्यादा उसकी बदनामीका खौफ है ....
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तेरी तस्वीर बनाकर रातके केनवास पर
हररोज हम हमारेदिनमें उजाला भरते है ....
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कहते है शिद्दतसे देखे ख्वाबकी ताबीर हो जाती है ,
पर तुम्हे ख्वाब नहीं समजा हमने क्योंकि तुम तो एक हकीकत हो ...

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