10 अप्रैल 2012

मैं क्यों सौतेली संतान हूँ ???

मैं क्यों सौतेली संतान हूँ ???
लगभग छुपकर रहती हूँ दुनियासे सारी,
लेकिन जब आती हूँ तो ...
तो दुनिया मुझसे छुप जाया करती है .....
नहीं पहचाना ??? मैं कौन हूँ ???
मैं धूप हूँ .....हाँ बैसाखी धूप ....
जैसे जाड़ा जैसे बारिश जैसे हेमंत और शरद वसंत
मैं भी तो ऐसी ही हूँ प्रकृति का रूप ...
फिर भी मुझसे सौतेला व्यवहार क्यों ???
सबको तो तुम प्यार जताते ,
मुझे बस उलाहना देकर जाते !!!!
मेरे आनेसे कोई खुश क्यों नहीं हो पाता???
क्या मैं सूरजकी संतान हूँ वो जग नहीं जानता???
लोगोंको आदत है नर्म और कोमल चीजोंकी
मेरा सिर्फ ये ही कुसूर की मैं मिलती हूँ थोड़ी कड़ी  कड़ी ....
पसीनेके सागर को मैं तनसे बहाती  हूँ
इस लिए मैं सबको नहीं सुहाती हूँ ....
धरती और गगनके एकांत के लिए मुझे ये रास्ता चुनना पड़ा ,
वर्ना ये दुनियाके जीव को कहाँ उनके इश्कका सकीना भला ???
मुझे तो वो अम्बिया प्यार से पुकारे ,
कोयल प्यारे सूरसे मेरे लिए नित नए गीत सुनाये रे .....
बादल जाकर मैं ही मांगु तुम्हारे लिए तो पानी ,
बारिशकी बुँदे भरकर दामनमें  मैं फिर आऊं चुनर ओढ़कर बादलकी धानी....
बस एक बार घर की छत पर आप आ तो जाओ ,
प्यारसे खुले पाँव जमीं पर रखकर प्यार जाता जाओ ...
ताकि मुझे लगे मैं सौतेली नहीं हूँ ...सौतेली नहीं हूँ ...

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