वो अचानक मिल गयी |
वो अचानक मिल गयी ,
एक रस्ते पर चलते चलते ,
थोड़ी अल्हड थोड़ी नटखट ,
थोड़ी शरारोंसी जलती सी
थोड़ी शबनमसी नमीसे भरी ,
उसकी आँखोंके जादूमें एक सागर था ,
उसमे डूबनेके लिए दिल बेक़रार था ...
पर वो अल्हड बिन रुके
हवाके पर लगाकर उडती चली ......
मन बावला उसके पीछे पीछे चला गया ....
उसने मुड़कर देखा पीछे तो
तस्वीर दिलमे समां गयी ,
दूर दूर जाती वो ट्रेनकी खिड़कीसे
एक लड़की मेरे जहाँ में समाती गयी ....
अब इंतज़ार नहीं किसीका ....
उसे वापस आना ही होगा ,
जाते जाते गिराया रुमाल
मुझसे मिलकर फिर पाना होगा ...
आओगी न ???
सुन्दर अभिव्यक्ति.
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