जिंदगीमें एक अलग दिनकी चाहत करनी है तो मुश्किल नहीं होती ...बस उस चाहतके कदको तय मत कीजिये ....
वैसे तो कविता और शायरी की महफ़िलको कल नए सालमें एक दिन के लिए मैंने रुखसत दे दी ....सुबहमें पांच बजे ही नींद खुल गयी ...इकत्तीसका कोई सेलिब्रेशन नहीं किया ...पर सुबह जल्दी उठी तो फेसबुक खोली ....एक दोस्त है मेरी ...अपने पति और बच्ची के साथ एक सालके लिए न्यू योर्क गयी हुई है ...वैसे हम एकदूसरे से कभी मिले नहीं ..पर दोनों पति पत्नी बहुत आदर करते है ..और भारत लौटते ही मुझे मिलना चाहते है .....मेरे शहरके के ही है ....सबसे पहला न्यू यर विश उनसे मिली ....
फिर पूछा उस दोस्तने : कोफ़ी पियेंगे ??/
मैंने कहा : येस आज तो जरुर पियेंगे ....उसने तुरंत एक कोफ़ी का चित्र भेज दिया ...मैंने उसे गाजर का हलवा खानेकी दावत दी ....और हम दोनों उस पल हंस ही रहे थे ...वो भी उधर न्युयोर्कमें हंसी वो मैं बिन देखे कह सकती हूँ ...
पतिदेव को कहा ये बहुत सालोमें हुआ की पहली जनवरी रविवार को है ...तो ये तय रहा हम बड़े भाई जो वड़ोदरा के नजदीक पादरामें रहते है हम वहीँ चलेंगे ..और हमें शाहरुख़खान की नयी फिल्म डोन २ जरुर देखनी है वहां पर ही .....यहाँ पर इस वक्त बहुत ही ज्यादा ठण्ड है ...और मोटरसायकल पर ठंडी हवाके तीर झेलने की जो मजा आई क्या कहने ??/ वहां पर फिल्म भी देखने गए ...सच कहे तो मेरे और मेरी बेटी को छोड़ किसीको इस फिल्ममें कोई दिलचस्पी नहीं थी ....और कहा ये बोर है : तो हँसते हँसते कहा जिसे न देखना हो वो घर लौट जाओ ..बाकी मैंने तो देखनी है है ...पूरा होल खाली था ...और हम सब अलग अलग सिट पर बैठे ...कोई सो गया तो कोई बक बक कर रहा था ...पर मैंने तो फिल्म को खूब एन्जॉय किया ...बड़े दिनोंके बाद यूँ एक्शन पेक फिल्म देखने का मज़ा आया ...बहार जाकर भी मुझे कहा गया : बेकार फिल्म ..तो मैंने खूब हँसते कहाँ पहले ही ऑफर था तो घर क्यों नहीं चले गये .......मेरे पीछे पीछे सब क्यों बैठे रहे .......??
सच कहूँ यूँ डोनगिरी करने का मुझे बहुत ही मज़ा आया ...फिर रात को एकदम ठंडी हवामें मोटरसायकल पर लौटना ...भाई वाह !!! क्या मस्त शाम गुजारी ???
सच कहूँ ..बस इतना कहना है ...कभी कभी जिंदगीके आगे जिद्दी बन जाओ ..औरों के लिए तो हम जीते है पर कभी अपने लिए भी जीना सिख जाओ ...क्योंकि हमारी जिंदगी पर सबसे पहला अधिकार हमारा है ये कभी भूलना नहीं चाहिए ...और ऐसे थोड़े पल गुजार देना कोई गुनाह नहीं !!!!!
वैसे तो कविता और शायरी की महफ़िलको कल नए सालमें एक दिन के लिए मैंने रुखसत दे दी ....सुबहमें पांच बजे ही नींद खुल गयी ...इकत्तीसका कोई सेलिब्रेशन नहीं किया ...पर सुबह जल्दी उठी तो फेसबुक खोली ....एक दोस्त है मेरी ...अपने पति और बच्ची के साथ एक सालके लिए न्यू योर्क गयी हुई है ...वैसे हम एकदूसरे से कभी मिले नहीं ..पर दोनों पति पत्नी बहुत आदर करते है ..और भारत लौटते ही मुझे मिलना चाहते है .....मेरे शहरके के ही है ....सबसे पहला न्यू यर विश उनसे मिली ....
फिर पूछा उस दोस्तने : कोफ़ी पियेंगे ??/
मैंने कहा : येस आज तो जरुर पियेंगे ....उसने तुरंत एक कोफ़ी का चित्र भेज दिया ...मैंने उसे गाजर का हलवा खानेकी दावत दी ....और हम दोनों उस पल हंस ही रहे थे ...वो भी उधर न्युयोर्कमें हंसी वो मैं बिन देखे कह सकती हूँ ...
पतिदेव को कहा ये बहुत सालोमें हुआ की पहली जनवरी रविवार को है ...तो ये तय रहा हम बड़े भाई जो वड़ोदरा के नजदीक पादरामें रहते है हम वहीँ चलेंगे ..और हमें शाहरुख़खान की नयी फिल्म डोन २ जरुर देखनी है वहां पर ही .....यहाँ पर इस वक्त बहुत ही ज्यादा ठण्ड है ...और मोटरसायकल पर ठंडी हवाके तीर झेलने की जो मजा आई क्या कहने ??/ वहां पर फिल्म भी देखने गए ...सच कहे तो मेरे और मेरी बेटी को छोड़ किसीको इस फिल्ममें कोई दिलचस्पी नहीं थी ....और कहा ये बोर है : तो हँसते हँसते कहा जिसे न देखना हो वो घर लौट जाओ ..बाकी मैंने तो देखनी है है ...पूरा होल खाली था ...और हम सब अलग अलग सिट पर बैठे ...कोई सो गया तो कोई बक बक कर रहा था ...पर मैंने तो फिल्म को खूब एन्जॉय किया ...बड़े दिनोंके बाद यूँ एक्शन पेक फिल्म देखने का मज़ा आया ...बहार जाकर भी मुझे कहा गया : बेकार फिल्म ..तो मैंने खूब हँसते कहाँ पहले ही ऑफर था तो घर क्यों नहीं चले गये .......मेरे पीछे पीछे सब क्यों बैठे रहे .......??
सच कहूँ यूँ डोनगिरी करने का मुझे बहुत ही मज़ा आया ...फिर रात को एकदम ठंडी हवामें मोटरसायकल पर लौटना ...भाई वाह !!! क्या मस्त शाम गुजारी ???
सच कहूँ ..बस इतना कहना है ...कभी कभी जिंदगीके आगे जिद्दी बन जाओ ..औरों के लिए तो हम जीते है पर कभी अपने लिए भी जीना सिख जाओ ...क्योंकि हमारी जिंदगी पर सबसे पहला अधिकार हमारा है ये कभी भूलना नहीं चाहिए ...और ऐसे थोड़े पल गुजार देना कोई गुनाह नहीं !!!!!
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