26 दिसंबर 2011

तुम ही !!!!!

सफे पर आड़ा  टेढ़ा रेखाओं को जोड़ना शुरू किया ,
एक तस्वीर बनने लगी है ....
कोरी हथेली पर स्याही लगती गयी थोड़ीसी ,
लगा मेरी तकदीरकी लकीरें बनने लगी है .......
थोडीसी स्याही चेहरे पर लगी ,
थोडीसी नाक पर भी लगी ,
गाल पर लाल रंग निशानी छोड़ गया ,
आँखके नीचे काला टीकासा रंग गया है ....
मैं तस्वीर बना रही थी तब
तब एक अजनबी अपने कैमरेमें मुझे कैद कर रहा था ...
जहाँ मेरे नए नए चेहरे कैद थे ...
जो तस्वीर मैंने बनायीं वो तो केवल एक थी ,
पर हर रेखाओ पर खिंची मेरी तस्वीर तो
कहीं हंसी थी ,
कहीं आश्चर्यम ही आश्चर्यम  था ,
कहीं थोडासा गुस्सा था ,
कहीं आँखें छलक रही थी ,
कहीं ख्वाबोंका घरौंदा था .......
मैं लगातार हंसती रही मेरी तस्वीर पर ही ,
कितने रंग छोड़कर गया वो मेरे लिए ,
छुपा रुस्तम था वो ,
जिसने बिना कहे जता दिया ,
खुबसूरत तस्वीर बनाता वो ही है ,
जिसका दिल खुबसूरत हो !!!
जिसे हर तस्वीरमें उतारा जा सके !!!
वो तुम ही हो.... तुमही हो..... तुम ही !!!!!

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