एक अनदेखा अनजान चेहरा |
कोई चेहरा रोज आता है मेरे पास ,
बस आँख मूंदकर जब सोते है सिरहाने पर ...
वो गुमसुम आँखे नम सी ,
बस होठ लिए है मुस्कराहटके बहाने .....
मोटी मोटी आँखों में बहुतसे सवाल लिखे है ,
और वो नज़र मुझसे वो सारे जवाबतलब कर रही है .....
लगता है सदियोंकी पहचान है उस चेहरे से ,
पर कभी मेरे इर्दगिर्द नज़र आता ही नहीं .........
रोज आकर कहता है मुझे मैं तुम्हारी तलाश हूँ ,
एक दिन हमारा आमना सामना जरुर होगा ,
वो भीड़भाड़के बीच मुझे तुम्हे पहचानना होगा ....
उस वक्त बस एक पलभर आँख मूंद कर खोल देना ...
मेरा चेहरा तेरे सामने ही होगा ....
छूकर देख लेना मुझे की यही एक सच होगा ....
बस उस वक्त उस वक्त
मेरी आंखोमे इन सवालोंकी जगह ,
हमारे मिलनका एक जवाब होगा ............
वो अनदेखा अनजान चेहरा कभी बदला नहीं है ,
उसने रातको मिलनेका वादा कभी तोडा नहीं है ,
फिर भी उस मिलन की घडी होगी कब ये कभी बताया नहीं है ,
मुझे उससे बेशुमार प्यार हो गया है पर
उसने अपने लबोंसे कभी इज़हार किया नहीं है .....
एक अनदेखा अनजान चेहरा उसने अपने लबोंसे कभी इज़हार किया नहीं है .....
जो मेरे जीवनकी वजह बन गया है ,
सुने पड़े दिलकी धड़कन बन गया है .....
पूछूँगा उसे मुझे पहचान तो लोगे न तुम भी ???
क्या मैं तुम्हारा सपना बनकर आया हूँ कभी ????
भावों से नाजुक शब्द.....
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