13 दिसंबर 2011

तुम बिन !!!!

तुम बिन दिल क्या करे ?
तुम बिन दिल क्या कहे ?
तुम बिन बेजुबाँसे ये अल्फाज़ !!!
तुम बिन कोरे कोरेसे बिखरे हर रंग !!!
तुम बिन कौन सुने मेरी बेमतलबकी बातें ???
तुम बिन कौन मेरी तारीफ वाला वो नगमा गुनगुनाये ????
तुम बिन बादल चिढ़ाकर उड़ जाए !!!
तुम बिन बरसात भी मुझे कोरा छोड़ जाए !!!
तुम बिन हर रात नींद आना क्यों भूल जाती है ???
तुम बिन हर दिन क्यों घसीटता चले जाता है ????
तुम बिन फीका लगे वो खास पकवान भी !!
तुम बिन जलमें रहकर भी जिन्दा रहे हर प्यास !!!
तुम बिन कौन एहसास दे की मैं हूँ जिन्दा ???
तुम बिन कौन मेरी आहट पर चौंक जाए ???
तुम बिन मैं क्या तुम बिन ???
तुमसे शायद मैं हूँ न हो मुझसे तुम !!!!!
जो लिखना भूल गयी ,
उसे कौन पहचानेगा ???
तुम बिन !!!!

3 टिप्‍पणियां:

  1. तुम बिन मैं क्या तुम बिन ???
    तुमसे शायद मैं हूँ न हो मुझसे तुम !!!!!
    जो लिखना भूल गयी ,
    उसे कौन पहचानेगा ???
    तुम बिन !!!!

    आपकी 'तुम बिन' की धून कानों में गूँज रही है,प्रीति जी.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    कभी मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    हो सकता है आपको अच्छा लगे.

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