वक्तके खाली खानेसे फिर एक लम्हा गिर पड़ा ,
न जाने क्यों कैसे वो सरक गया मुझसे ,
एक लम्हेमें सारा युग सिमटकर पड़ा था
वो मेरा होकर मुझसे ही क्यों खतावार था ????
एक और सफा जिंदगी का फिर पल्टा...
एक और दीवाली आई ....
एक बार फिर दीप जलाये गए ...
एक बार फिर यादोके घरौंदे साफ़ किये गए ....
एक बार फिर घर सजाये गए ...
फिर भी चुपके से वो लम्हा कहीं बैठा रहा अब तक ,
आज मुझे छोड़ जानेके लिए बेताब सा .......
खुबसूरत वो लम्हा ,
जब फूलजड़ीसे मेरी उंगली पर जलन हुई थी
और मेरे हाथ को थाम दोनों खुले नल के नीचे
एक दुसरेको देखते एक दुसरे की आँखोंमें गुम हो गए थे
पहली बार ......वो पहली बार !!!!!
bhaut hi khubsurat...
जवाब देंहटाएंsundar...
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