कल स्वतंत्रतादिवस का जश्न देखा टी वी पर ........मुसलाधार बारिश के बीच ध्वजवंदन हुआ लालकिले पर ....हजारो स्कूली बच्चे रेनकोट पहनकर बैठे हुए ....राजघाट गांधीजीकी समाधी पर सिर्फ प्रधानमंत्री उनके गार्ड्स के साथ गए और लौट गए ....प्रधानमंत्रीके भाषणका हर लब्ज़ जूठा लगा ....जिसके हाथमें सत्ता है वो नपुंसक हो गए है और हम प्रजा हम तो है ही ऐसे नेताओ के हाथ से मार खाने के लायक .....हम अपनी नौकरी अपनी तनख्वाह सेक्योर कर लेते है और बड़ी बड़ी बातें सिर्फ ट्विटर या फेसबुक या एस एम् एस पर कर लेनेसे कुछ नहीं होगा ......
पहले हमारी जंग अंग्रेजोके खिलाफ थी ...वो तो विदेशी थे ...हमने कल ही आज़ादीका ६५ जन्मदिन मनाया ...और आज हमारे वाणी स्वत्रन्त्रय के हक़ पर जिस तरह ताराप मारी गयी है ...वो नाकाबिले बर्दाश्त है ......लोगो की भ्रष्टाचार के खिलाफ की आवाज को सत्ता नायको द्वारा यूँ कुचल देना ........अब जंग अपने चुने गए लोगो के खिलाफ ही लड़नी होगी .....
सिर्फ एक दिन इस देश का हर नागरिक अपना काम छोड़कर सड़क पर आ जाए तो सरकार की आँख खुलेगी और नींद भी उड़ेगी ......देश के मुड़ीवादी के हाथ बीके हुए सत्ता वाले तभी हिल सकते है ....अब की बार कुछ ठोस करने की जरुरत है ....जब आवाम ,देश की आम जनता सड़क पर उतरती है तभी क्रांति हो सकती है ........और कोई भी जुल्म करने वाला फिर टिक नहीं सकता .........
अस्तु ....
एक आम भारतीय जो आज अन्ना के साथ है ......
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