30 जून 2011

कुछ ना कहो ....

कोई आकर कहींसे हौलेसे छू गया ऐसे ,

जैसे चेहरे को छू गयी बारिश की पहली बूंद .........

====================================

बारिशने क्या कहा धरती से ?

धरती एक सालके इंतज़ारमें कितनी जली तू ????

तेरे जर्रे जर्रे को छूकर मेरी बूंद भी गरमा गयी ,

ये प्यास कुछ घटा गयी या और बढ़ा गयी ???

======================================

एक मुठ्ठी आसमानको कैद करके देखा ,

वो तब भी खाली था ,और अब भी खाली ही निकला ......

=======================================

किसीकी याद जब बेक़रार कर गयी हो

तब ही उसका आना इंतज़ारके लुत्फ़का मज़ा ख़त्म कर गया ......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...