तुम्हे देखते रहे ख्वाबों के आयनेमें ,
शायद क्या था वो ??
खुद हमारा अक्स ,
या तुम्हारी आँखोंमें मेरा ख्वाब ???
क्या येही प्यार हिया ????
तुम्हारे मिलने की कोई आस नहीं थी बाकी ,
क्योंकि अब शायद रगमें बस गए कुछ इस तरहसे
सांस बनकर चलने लगे लहू बनकर बहने लगे ...
क्या ये ही प्यार है ???
जिस्म जरिया होता है प्यार को पाने का ,
या मंजिल ???
बस ये ही प्यार की ऊंचाईको मुक़र्रर कर जाता है ......
हाँ ये ही प्यार है .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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खुद हमारा अक्स ,
जवाब देंहटाएंया तुम्हारी आँखोंमें मेरा ख्वाब ???
क्या येही प्यार हिया ????
बहुत सुन्दर लिखा है
धन्यवाद
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