2 मई 2011

वो फिसल गया ...

एक सुन्दर सपना था ,
पलकोंसे निकला था ,
उसे दुनिया देखनी थी ,
उसका पैर फिसल गया ....
वो जमीं पर गिर गया ,
वो बैठे बैठे रोने लगा ,
उसके आंसू फर्श पर गिर गए ,
वो तो मोती बन गए ,
सपना हंस दिया ,
उसने कहा देखो आंसू ने मोती दिया ,
उसने बिलकुल सच कहा ....
इंसानकी हँसी बनावटी चाहे जो है ,
मोती बनने वाले आंसू तो सच्ची के होते है ....

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