कल रात सितारोंसे मुलाकात हुई ,
आधे चाँदसे भी मुलाकात हुई ....
उन्हें भी इंतज़ार था मेरे छत पर आने का ,
उनका दिल भी बेक़रार था कुछ बतियाने को ...
रूठकर बैठा था मंगल कह रहा था शनिसे झगडा हो गया था ,
उसने शुक्र को दौड़ते हुए धक्का दे दिया था ....
शांत बैठा शुक्र कहाँ किसीकी मानता है ?
वो तो पश्चिममें उगता शामको फिर सहरमें पूर्वमें नज़र आता है ....
सप्तर्षि के तारे पूरी रात दोड पकड़ खेलते हुए उधम मचाते है ,
उनके शोरगुलसे तंग चंदामामा कई रात तक सो नहीं पाते है ......
रातके पल्लूमें छुपकर ये सब सितारे गप्पागोष्ठीमें वक्त बिताते है ,
अँधेरे के सच्चे साथी बनकर उनके हमसफ़र बन साथ चलते जाते है ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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