अभी अभी मेरे दिमागकी फेक्टरी में
एक नया सोंग मेन्युफेक्चार हुआ है ......
दिलमें दहीवडाने दस्तक दी और मनमें मसालाडोसा सर्व हुआ है
साम्बरकी कितली को प्यास है ...
कहीं एक इडली मिल जाए या मेदुवड़ेसे भी बात बन जाये
राह चलते रतलामीसेवसे मुलाकात हो गयी
चुराकर दिलने तीखा चेवड़ा भी छुपाया है ....
गली गली महक फैली है गुलाबजामुनकी
किटपिट करती काजू कतरीका भी साथ निभाया है
रबडीमें नहाकर आता है पिचका हुआ रसगुल्ला
खूब करता है पेट में रसमलाई बनकर हल्लागुल्ला .............
भागती भागती भेलपुरी तब मेरे पास आई
रोने लगी ये कहते हुए
पूरी में पंक्चर हो गया और गिर गया सारा पानी
छिले हुए थे छोले उस पर खमणढोकलाकी रुई लगाई
भटूरेकी पट्टी बांधकर उसे प्लेटमें पिज़ा के बिस्तर पर सुलाया है ..............
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
स्वादिष्ट !
जवाब देंहटाएंशब्दों की खिचड़ी कर,
जवाब देंहटाएंआपने क्या खूब मिलाया है,
सुबह सुबह आपने हमें ,
बहुत लजीज खाना खिलाया है.
लिखते रहिये ..