15 सितंबर 2010

कासे बताऊ ये पीर ???

खिलती कलियोंने तेरा पता पूछा
सूरजकी किरणोंने तुझे ढूँढा
पंछीके परवाजोंने तेरा ठिकाना ढूँढा
कोयलकी कूकने बेसब्रीसे तुझे पुकारा
बादल का काला रंग और गहरा गया तेरे बिन
बारिश भी कुछ कम गीली महसूस हुई
दिन थोडा कम लम्बा लगा
रातें कुछ और लम्बी लगने लगी
नींदोंने मेरी आँखोंमें बसनेसे इनकार कर दिया
इंतज़ारने मेरी दहलीजसे दूर जानेसे मना कर दिया
सबको तेरी तलाश थी
पर मेरे दिल से बाहर आने को तुझे भी परहेज था
कासे बताऊ ये पीर ????

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