14 सितंबर 2010

इंतज़ार कब तलक ???

इंतज़ार का लुफ्त जाना मैंने
जब मैंने इंतज़ार किया ....
तुम मेरे सबसे करीब थे
जब मुझे तुम्हारा इंतज़ार था ....
मेरे नयन तुम्हारे रहगुजरसे हट नहीं रहे थे ...
मेरे जहनमें तुम्हारे ही ख्याल थे ...
मैंने उन बातोंमें तुम्हे फिर से जी लिया ....
मेरे कानोमें तुम्हारे कदमों की आह्ट की गूंज थी ....
मेरी आँखोंमें तुम्हारा ही चेहरा था ....
बस तुम ही तुम थे और कोई नहीं ...
मुझमे तुम्हे पा लिया
जब जब मैंने इंतज़ार किया ....

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति,
    अच्छी पंक्तिया सृजित की है आपने ........

    एक बार इसे जरुर पढ़े, आपको पसंद आएगा :-
    (प्यारी सीता, मैं यहाँ खुश हूँ, आशा है तू भी ठीक होगी .....)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_14.html

    जवाब देंहटाएं
  2. मुझमे तुम्हे पा लिया
    जब जब मैंने इंतज़ार किया ....
    ------------------------------

    बहुत ही सुंदर भाव हैं....
    ऐसे ही लिखती रहें
    शुभकामनायेँ

    जवाब देंहटाएं

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