जिंदगीसे पहले जिंदगी कहाँ ?
मौत से पहले जिंदगी कहाँ ?
जिंदगीसे पहले मौत कहाँ ?
अगर जी रहे है तो मौत नहीं ???
अगर मौत होती है तो फिर जिंदगी ही नहीं ???
फिर क्यों हम मर मर के जीते है ?
फिर क्यों हम हमारा जीवन सिर्फ धनसे जोड़ते है ???
धनी हो तो सुखी ....गरीब हो तो दुखी .....?????
वातानुकूलित कमरे में नरम गद्दे पर नींद कहाँ ?
जहाँ घोड़े बेच कर फूट पाथ पर सोते है उस इंसान के पास गद्दा कहाँ ??
चार मंजिलों वाले कितने घंटे घर पर रह पाते है ?
फूटपाथ पर रहने वाले हररोज शाम का खाना साथ खाते है ....
जिंदगी से पहले मौत नहीं ...पर मरकर जीने वालों की कमी नहीं ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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