खामोश ,मौन ,निशब्द एक बोल
निगाहोंसे छलक गया पैमानेसे
एक नज़र उठी एक नज़र झुक गयी ,
बचपनसे अलविदा थी उस पल और
जवानीकी देहलीज़ पर छोड़ गया .......
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मैं उन्हें ना कह पाऊं की मोहब्बत है ,
वो इंतज़ार करे नज़रें बिछाए बैठे है ,
मेरी राहों पर तकती रहती उनकी निगाहें
मेरे बढ़ते क़दमों पर बेडीसी बन अटक जाती है ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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