18 अप्रैल 2010

रंगोंकी बात

चलो आज अँधेरे के दामन को कुछ देर छोड़कर कुछ रंगों की बात हो जाए ????हाँ मेरे पास अभी भी अँधेरेके कई रंग बाकी है मेरे दोस्त पर कुछ अब अलग भी सोच कर देखूं ???

अब कुछ "रंग "के तराने छेड़े जाएँ !!!!! और वो भी अन्दाजें बयां के अंतर्गत .....

एक बंद आँखने देखे थे सिर्फ दो ही रंग एक श्वेत और एक श्याम ,

देखो खुली आँख ही तो है जो मेघधनु को चुरा लायी है तुम्हारे नाम ......

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कहते है सात रंगके सपनोमें जीवन खो जाता है जैसे बहार ....

कौन बताये तुझे ओ मासूम महोब्बत की सिर्फ तेरे आने पर ही

ये जीवन रंगोसे है भर चला ......

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शर्मा जाना तेरे जानेमन हया की लाली छोड़ जाए इस चेहरे पर ....

तेरा वो जूठा गुस्सा भी लाल रंग खिला जाये इस तबस्सुम पर ...

बिरहा के काले बादल घिर आते है इस चाँद से चेहरे पर ....

मिलने पर तेरे बहार अनगिनत रंग छिड़क जाती है मिलन का रंग बनकर ....

4 टिप्‍पणियां:

  1. बिरहा के काले बादल घिर आते है इस चाँद से चेहरे पर ....

    मिलने पर तेरे बहार अनगिनत रंग छिड़क जाती है मिलन का रंग बनकर ...




    bahut khub



    shekhar kumawat
    http://kavyawani.blogspot.com/\

    जवाब देंहटाएं
  2. मिलने पर तेरे बहार अनगिनत रंग छिड़क जाती है मिलन का रंग बनकर ....
    बने रहे मिलन के ये रंग ...!!

    जवाब देंहटाएं

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