कल रात नींद न आई देर तक ,
सिरहाने पर तकिये पर सर रख एक सैर को चल दिए ...
दूर कहीं दूर मेरा ही अक्स था जो मुझे अंगुली थाम ले गया ....
एक चूं चूं करता जूता पहन कर हम इठलाते थे ,
वो शर्माजी के आम की अम्बिया चोरी कर भाग जाते थे ,
वो नदी की रेत के तट पर मिली सीपीयां हमने एक डिबिया में छुपायी थी ,
वो टूटी हुई कान की बाली गुडियाको पहनाई थी ,
लल्ली के गुड्डेसे उसकी शादीमें खूब धूम मचाई थी ,
हमारे शोर गुल से तंग पिताजीने गुस्सेमें हमें एक थप्पड़ लगायी थी ,
रो रो कर सुझा दी थी आँखे और पिताजीको दया आ गई थी ,
उस दिन उन्होंने हमको गोदमें ले जाकर आइस क्रीम खिलाई थी ....
गिर जाते थे जब साइकिलसे हम तो रुमालसे घाव छुपाये थे ,
दुसरे दिन दौड़में भी हम पहला नंबर लाये थे ....
कुछ भी वो अनुभव था नया सा ,अच्छा लगा हमें यूँ ही घूमना ,
गोदमें हमारी दादीने सुलाकर हमें लोरी भी सुनाई थी ,
वो लोरी को याद कर हमें फ़िर आज नींद आ गई थी ...
कल रात नींद ना आई देर तक तब दादी ने लोरी गाई थी .....
सबसे पहले आपका बहुत बहुत धन्यवाद .....हौसला अफज़ाई करने के लिए.....
जवाब देंहटाएंगिर जाते थे जब साइकिलसे हम तो रुमालसे घाव छुपाये थे ,
दुसरे दिन दौड़में भी हम पहला नंबर लाये थे ....
कुछ भी वो अनुभव था नया सा ,अच्छा लगा हमें यूँ ही घूमना ,
आपकी कविता (लोरी) बचपन में ले गई.... बहुत अच्छी लगी....
Regards.....
सबसे पहले आपका बहुत बहुत धन्यवाद .....हौसला अफज़ाई करने के लिए.....
जवाब देंहटाएंगिर जाते थे जब साइकिलसे हम तो रुमालसे घाव छुपाये थे ,
दुसरे दिन दौड़में भी हम पहला नंबर लाये थे ....
कुछ भी वो अनुभव था नया सा ,अच्छा लगा हमें यूँ ही घूमना ,
आपकी कविता (लोरी) बचपन में ले गई.... बहुत अच्छी लगी....
Regards.....
कल रात नींद ना आई देर तक तब दादी ने लोरी गाई थी .....
जवाब देंहटाएंसुन्दर एवं भावपूर्ण!!
bachpan ko dobara ji liya.........bahut hi manbhavan.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना। बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।